पी एम बनना है
सा रे गा म प क सेट पर लालू की मौजूदगी कोई इत्तफाक नहीं लालूजी की पुरानी और
परखी हुई सूझ है। बिहार से दिल्ली और फिर रेल से पी एम की कुर्सी तक का सफ़र लालू को साफ दिखाई दे रहा है। लेकिन इसके लिए फिलहाल उन्हें ऐसे मंचों की सख्त ज़रूरत है, जहाँ वे साबित कर सकें कि उनकी तस्वीर अब वोह नहीं है, जो कुछ दिनों पहले तक थी । चारे से जोरकर लोगों ने लालू को इतना देखा है कि उससे निकलना एक बड़ी चुनौती बन गयी है। रेल को फायदा कराने का इतना प्रचार भी उनकी चारा घोटाले वाली छवि को धूमिल नहीं कर पा रहा। केंद्र में बैठे बिना जनाधार वाले नेताओं को देखकर लालू जी इतना तो ज़रूर अंदाज़ लगा चुके होंगे कि जब वोह तो मैं क्यों नहीं ? पर फिर वही पुराना सवाल कि जनता को कैसे समझायें कि मैं वोह नहीं ये हूँ। सो अब सबसे अधिक टीआरपी वाले कार्यक्रमों का रुख कर रहे हैं, लोगों को पाठ पढा रहे हैं कि बडों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिऐ, गुरू के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए। वाह लालू जी वाह। आप ऐसे ही अपने नए राग अलापते रहिए । लोग आपके नए चहरे से ज़रूर प्रभावित होंगे। यहाँ तो लोग अपने पुरखों को भूलते हैं, पिछली करतूतें भुलाने में उन्हें कोइ वक़्त नहीं लगेगा।
पी एम ज़रूर बनियेगा।
Sunday, September 2, 2007
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