Monday, September 28, 2009

मन का रावण नहीं जला

हजारों की भीड़ में
रावण को जलता देखने
मैं भी शामिल हो चला
सोने की लंका के
राजा को मिटते देखने
मैं भी शामिल हो चला
मेघनाद जला कुम्भकर्ण जला
रावण भी धू धू कर जल गया
एक बुजुर्ग रास्ते आ गया
ठोकर उसको कोई मार गया
ना लोग रुके और ना मैं रुका
तड़प तड़प उसने दम तोड़ दिया
मेरे मन का रावण नहीं जला