Monday, November 17, 2008

ये मेरी नज़र है...

हिन्दुस्तान की असली तस्वीर जानते तो सब हैं...लेकिन असलियत कुबूल करने की उनमें हिम्मत नहीं ...और अगर किसी ने पहली बार ये हिम्मत जुटाई है..तो उसके बारे में जानने की कोशिश की जानी चाहिए ...मैं बात कर रहा हूँ..एक ऐसे टीवी चैनल की जिसे सच से परहेज नहीं..पढ़े लिखे और दुनिया घूम चुके लोगों को इस चैनल को देखना बुरा लगता होगा...लेकिन सच की राह चलना इतना आसान नहीं...ये हिम्मत की बात है...आप की टीवी स्क्रीन पर पहाड़ दिख रहा हो...और उस पहाड़ पर बड़े-बड़े लाल पीले अक्षरों में पहाड़ लिखा आए तो आप एक बार ज़रूर कहेंगे..ये क्या बेवकूफी है...लेकिन क्या आप जानते हैं...कि इस देश में आज भी ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिन्होंने या तो सिर्फ़ किताबों में पहाड़ देखे हैं या फिर इनके बारे में सिर्फ़ सुना है...तो ऐसे लोग अगर किसी टीवी चैनल पर पहाड़ लिखा देखें तो उनकी जानकारी बढती है...वो जान पाते हैं कि यही पहाड़ होता है...ये बात समंदर के लिए भी लागू होती है...जिसने आज तक समंदर अपनी नज़रों से नहीं देखा वो टीवी पर देखकर कैसे पहचान सकता है कि समंदर कैसा होता है...इसलिए समंदर दिखे तो उसपर समंदर लिखना भी ज़रूरी है...यही बात देवी देवताओं पर भी लागू होती है..गांव में देवी देवताओं के बारे में आप लोगों से पूछेंगे तो वोह कई देवी देवताओं कि पहचान कर लेंगे...क्यूंकि आस पास के मंदिरों में उनके दर्शन होते रहते हैं...लेकिन आप उनसे पूछेंगे कि शनि देव और राहु देव कैसे होते हैं तो वो शायद उनकी तस्वीर नहीं पहचान पायें..लेकिन ऐसी विकत परिस्थिति का इस टीवी चैनल को एहसास है..यहाँ इस बात पर गौर किया जाता है कि सबने सब कुछ नहीं देखा..और इसलिए सबको हर चीज़ की पहचान नहीं हो सकती..चलिए ये तो अच्छी बात है..अनपढ़ लोगों के लिए भी एक न्यूज़ चैनल है..लेकिन क्या कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने आग और पानी तक नहीं देखे...अगर ऐसा है तो वाकई ये सबके लिए शर्म की बात है...लेकिन ऐसा नहीं है तो आग को आग लिखकर बताना मजाक लगता है...मैंने लोगों को जागरूक कर रहे इस चैनल को करीब से देखा ...वो भी सिर्फ़ इसलिए कि पहले मुझे ऐसा लगा कि इस चैनल को उस तबके की पहचान है...लेकिन सच तो कुछ और निकला..ये सब किया जा रहा था सिर्फ़ एक वज़ह से...और ये वज़ह थी टीवी स्क्रीन को रंगीन बनाना...बेवज़ह सेंसेशन पैदा करना...तस्वीर भले ही अच्छी नहीं हो...ख़बर भले ही ख़ास न हो...उस पर तीर और गोलों की ऐसी बरसात कराई जाती है जैसी..रामायण और महाभारत के युद्ध में हुयी थी..उद्देश्य सिर्फ़ एक होता है कि दर्शक चंद मिनट स्क्रीन पर ठहर जाए और ..इसका चैनल को फायदा हो जाए...थोडी टीआरपी मिल जाए...मेरी नज़र से तो ये सब साफसाफ दिखा...अब आप भी इसी नज़र से देखिये इस चैनल को...

6 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

ब्लॉग जगत मैं आपका स्वागत है
समय निकाले और मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दे

Unknown said...

चिठ्ठों की दुनिया में आपका स्वागत है…

Amit K Sagar said...

achchha likha hai. ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर

अभिषेक मिश्र said...

बढ़िया टिप्पणी की है मीडिया की भूमिका पर आपने. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.

संगीता पुरी said...

इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका हिन्‍दी चिटठा जगत में स्‍वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को मजबूत बनाएंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

sab chalta hai, yah kah kar baat kahani padti hai. narayan narayan