Thursday, April 26, 2007

आपका स्वागत है हमारे ब्लोग कलियुग-कथा में !

इस ब्लोग के जरिये हमारी कोशिश होगी आपको साहित्य की विविध विधाओं के जरिये समाज में रचनात्मक परिवर्तन के लिए प्रेरित करने की। आप ये देख रहे होंगे कि भारतीय साहित्य विधा दुनिया में इन दिनों कोई खास पहचान नहीं बना पा रही। न तो प्रेमचंद जैसे लेखक और न ही गोदान जैसी कृतियाँ देखने को मिल रही हैं। सस्ते साहित्य से बाज़ार भरता जा रहा है. दुनिया के बाक़ी देशों में लिखी जा रही किताबें अधिक चर्चित हो रही हैं और दुर्भाग्य से भारत में भी उनका बाज़ार फैल रहा है। इसलिये मैंनें ये जरूरत महसूस की है कि भारतीय साहित्य जगत में जो कुछ हो रहा है उससे आपको परिचित कराऊँ ताकि आप भी अपनी जिम्मेदारी समझ सकें कि आपका समाज आपके साहित्य से ही समृद्ध और सभ्य हो सकता है। मैं ये नहीं कह रहा कि आप बाहरी साहित्य ना पढ़ें मैं तो सिर्फ ये चाहता हूँ कि आपका भारतीय साहित्य के प्रति प्रेम और आकर्षण बढ़े

अमरेश

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