देश के विभाजन का दर्द आज भी कई लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर रहा है। इसको लेकर सियासत का दौर भी लंबा चला है , लेकिन क्या आपने सोचा है कि इससे बड़ा बटवारा भी अपने देश में किन बातों को लेकर हुआ है? जातिवाद, छूआछूत और पाश्चात्य संस्कृति का अन्धनुकरण यह सब ऐसे कारण हैं जिन्होंने हमें इस क़दर बाँट दिया है कि इसकी कीमत पूरे देश को, समाज को और नयी पीढी को चुकानी पड़ रही है। जातिवाद अपने आप में कोई अभिशाप नहीं है लेकिन इसको लेकर जो उंच-नीच का भाव भारतीय समाज में पनपा वह किसी विष से कम नहीं कहा जा सकता। हम अपने ही लोगों से इस क़दर बंट चुके हैं कि शायद फिर से एक-दूसरे से जुड़ पाना सपना
रह जाये...
Thursday, April 26, 2007
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