लाल मंडी
मंडी में ज़िंदगी के २५ बरस बिताने के बाद आखिरकार नवाज़ मियाँ को मनचाहा काम मिल ही गया। अब उसे इस बात की कोई चिन्ता नहीं कि कर्मों का क्या नतीजा होगा बल्कि विश्वास है कि उसका ये हुनर बड़ी पदवी दिला कर रहेगा। सीमा पार से किये कारोबार का अनुभव नवाज़ के इलाक़े के लोगों के लिए पहले भी काफी फायदेमंद साबित हुआ है। इस पार की मवेशियों को इनके दादा परदादा विदेश भ्रमण पर भेजते थे, बाप और चाचा लड़कियों के आर पार में जुटे थे लेकिन किसी ने भी उतनी तरक्क़ी हासिल नहीं की जो नवाज़ मियाँ को हासिल हुई है। इलाक़े का बच्चा-बच्चा जानता है कि नवाज़ अपने बाप दादे के कारोबार में नहीं है। ना तो आजतक इसने किसी की मवेशी सीमापार भेजी ना किसी की छोकरी पर हाथ डाला। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इसने नेताओं की कितनी सेवा की है। इलाक़े के छोटे - बडे ना जाने कितने नेता इनकी बदौलत असेम्बली और संसद तक पहुंच चुके हैं। बूथ लूटना हो या फिर चुनाव के लिए पैसे जुटाने हों सारे मुश्किल काम नवाज़ मियाँ का नाम लेते ही आसान हों जाते हैं। लेकिन ये डर नवाज़ मियाँ को अक्सर सता रहा था कि इसके काले कारनामों और सीमा पार से की गयी असलहों की तश्करी का कहीं राज तो नहीं खुल जाएगा। फिर क्या था ये भय भी खत्म तो करना ही था। सोचा दिल्ली का रुख करें तो बात कुछ बन सकती है। दिल्ली से बडे-बडे नेता नवाज़ मियाँ के लिए वोट मांगने आए .
..shesh aage .......
Thursday, May 24, 2007
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